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घरौंदा योजना का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को जीवन भर के लिए घर सुनिश्चित करना और देखरेख की न्यूनतम सेवाएं प्रदान करना है, जो ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मंद बुद्धि और एकाधिक विकलांगताओं से ग्रस्त है। इस योजना का उद्देश्य इन व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित सुनिश्चित करना है
इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के अंतर्गत समाहित दिव्यांगजनों के लिए जीवन भर के आश्रय और देख-भाल के उद्देश्य से घरौंदा केन्द्रों की स्थापना करना है। घरौंदा केन्द्र में कम से कम निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिएः
सामूहिक घर
पंजीकृत संस्था को राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के दायरे में आनेवाले सभी वयस्क दिव्यांग व्यक्तियों को जीवन भर के लिए सामूहिक घर की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। इन सामूहिक घरों में देखरेख की पर्याप्त एवं उत्तम सेवाओं के अलावा स्वीकार्य जीवन-स्तर की सुविधा भी होनी चाहिए। इसमें स्वास्थ्य की देखभाल के लिए प्रोफेशनल डॉक्टर की बुनियादी सुविधा का होना भी शामिल है।
घरौंदा केन्द्र के किसी एक बैच में अधिकतम 20 दिव्यांगजन हो सकते हैं। किसी घरौंदा केन्द्र में क्षमता से केवल 30% अधिक यानी 26 व्यक्तियों तक के बैच की अनुमति दी जा सकती है। 26 दिव्यांगजनों की सीमा पर पहुँच जाने के बाद घरौंदा केन्द्र को और दिव्यांगजनों को प्रवेश देने की अनुमति नहीं होगी। यदि नए घरौंदा केन्द्र के लिए पर्याप्त संख्या में दिव्यांगजन हों तो पंजीकृत संगठन को दुबारा आवेदन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
पंजीकृत संस्था को एलआईजी(बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांगजनों (जो पंजीकृत संस्था के लिए सशुल्क सीटें होंगी) के लिए 1:1 का अनुपात बनाए रखना चाहिए। एलआईजी से ऊपर की सीटों के लिए पंजीकृत संस्था माता-पिता, अभिभावकों, परिवार के सदस्यों, पंजीकृत संगठन अथवा अन्य किसी संस्था/व्यक्ति से सीधे भुगतान ले सकती हैं, जिसके निबंधन व शर्तें पंजीकृत संस्था और अन्य संबंधित पक्षकार (माता-पिता, अभिभावक, परिवार के सदस्य, पंजीकृत संस्था अथवा कोई अन्य संस्था/व्यक्ति) के मध्य आपसी सहमति से निर्धारित की जा सकती हैं।
केन्द्र में रोजगारपरक प्रशिक्षण देनेवाले कम से कम दो विशेष प्रशिक्षकों, एक फीजियोथेरेपिस्ट अथवा ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट, तीन देखभाल करनेवालों, दो आया और रसोइए की व्यवस्था होनी चाहिए।
इन केन्द्रों में शारीरिक प्रशिक्षक और स्पीच थेरेपिस्ट की उपलब्धता भी वांछनीय है।
स्टाफ के संबंध में पालन की जानेवाली आवृत्ति अथवा समय-सारिणी निम्नवत हैः
क्रम सं. | वर्ग | स्टाफ की संख्या | आवृत्ति अथवा प्रतिमाह अपेक्षित दौरों की न्यूनतम संख्या |
---|---|---|---|
I. | विशेष शिक्षक (रोजगारपरक प्रशिक्षक) | 2 | प्रतिदिन |
II. | फीजियोथेरेपिस्ट अथवा ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट | 1 | सप्ताह में 5 बार |
III. | देखभाल करनेवाले | 3 | प्रतिदिन 2 पालियों में |
IV. | आया | 2 | प्रतिदिन |
V. | रसोइया | 1 | प्रतिदिन |
घरौंदा केन्द्र में दिव्यांगजनों के लिए कम से कम एक चिकित्सा कक्ष अथवा (चिकित्सकीय सहायता और उपकरणों से सज्जित) जाँच कक्ष, कम से कम एक गतिविधि कक्ष अथवा रोजगार-प्रशिक्षण कक्ष, कम से कम एक मनोरंजन कक्ष, साफ-सुथरी आवास-व्यवस्था तथा अन्य सुविधाएं अवश्य होनी चाहिए। सभी कक्ष समुचित आकार के हों।
इसके अलावा एक रसोईघर और कार्यालय संबन्धित साजो-सामान की व्यवस्था भी होनी चाहिए। इसमें कार्यालय का काम करने और योजना के अंतर्गत यथावश्यकता निधि हेतु अनुरोध भेजने, राष्ट्रीय न्यास से सूचना के आदान-प्रदान तथा रिपोर्टों व अन्य दस्तावेजों के प्रेषण के लिए पर्सनल कंप्यूटर की व्यवस्था भी शामिल है।
कार्य-केन्द्रों की स्थापना के लिए सहायता (केवल स्थापना लागत) राष्ट्रीय न्यास द्वारा प्रदान की जाएगी जो प्रस्ताव की व्यवहार्यता पर निर्भर करेगी।
पंजीकृत संस्था नामांकन प्रक्रिया में उन सभी चरणों का उल्लेख है जिनका पहली बार घरौंदा केन्द्र के लिए नामांकन के समय पालन किया जाना है। साथ ही, इसमें विभिन्न गतिविधियों के संबंध में प्रत्येक चरण के लिए अपेक्षित सूचना एवं दस्तावेजों का यथावश्यक विवरण दिया गया है।
चरण 1. राष्ट्रीय न्यास में पंजीकृत गैर सरकारी संगठन राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर लॉग इन करता है।
चरण 2. आवेदन फॉर्म राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध है। इसे ऑनलाइन ही प्रस्तुत किया जाना है। घरौंदा योजना में नामांकन के लिए आवेदन शुल्क रु. 1000 है।
ऑनलाइन आवेदन फॉर्म प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
टिप्पणीः बिना आवेदन शुल्क के प्राप्त होनेवाले दस्तावेजों पर विचार नहीं किया जाएगा।
नामांकन के उद्देश्य से पंजीकृत संस्थाओं को निम्नलिखित दस्तावेज और सूचनाएं प्रस्तुत अथवा अपलोड करनी हैं
चरण 3. राष्ट्रीय न्यास को आवेदन फॉर्म तथा दस्तावेज मिलने पर उनकी जाँच की जाती है। यदि कोई सूचना न मिली हो या त्रुटिपूर्ण सूचना प्रस्तुत हुई हो और उसे पुनः प्रस्तुत किया जाना हो तो उसके पुनः प्रस्तुतीकरण के लिए पंजीकृत संस्था को 15 दिन का समय दिया जाता है।
ध्यान दें कि पंजीकृत संस्था तथा प्रस्तावित घरौंदा केन्द्र के भौतिक सत्यापन से संबंधित दस्तावेज या तो राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर योजना के लिए नामांकन के समय या ऑनलाइन आवेदन के प्रस्तुत किए जाने के बाद भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं। यदि पंजीकृत संस्था उक्त दस्तावेजों को समय पर प्रस्तुत करने में विफल रहती है तो उसके प्रस्तुतीकरण के लिए पंजीकृत कार्यालय को राष्ट्रीय न्यास से अधिसूचना प्राप्त होने के पश्चात् 15 दिन का समय दिया जाएगा।
चरण 4. आवेदन अथवा प्रस्ताव पर अन्तिम निर्णय सभी आवश्यक औपचारिकताएं और प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद किया जाता है। भौतिक सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर यदि पंजीकृत संस्था योजना के मानदंडों और अपेक्षाओं को पूरा करती है तो आवेदन को अनुमोदित कर दिया जाता है। यदि कोई विसंगति हो तो उससे पंजीकृत संस्था को अवगत करा दिया जाता है।
चरण 5. प्राप्ति बिन्दु से 15 दिन के भीतर राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संस्था को सूचना प्रेषित की जाएगी। ऑनलाइन फॉर्म के मामले में, प्राप्ति बिन्दु वह तारीख व समय है, जब फॉर्म को सभी अपेक्षित दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन प्रस्तुत किया गया। किन्तु यदि कोई दस्तावेज न मिला हो तो ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण की प्राप्ति के 10 दिन के भीतर राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संस्था को सूचित किया जाएगा।
चरण 6. यदि ऑनलाइन प्राप्ति बिन्दु के 15 दिन के भीतर फॉर्म तथा अन्य दस्तावेजों की हार्ड कॉपी प्राप्त नहीं होती तो राष्ट्रीय न्यास को विनिर्धारित अंतिम तारीख के 10 दिन के भीतर वापस सूचना भेजनी होती है।
चरण 7. नामांकन पूरा होने के बाद, पंजीकृत संस्था के लिए योजना आईडी निर्मित होती है और उसकी पुष्टि पंजीकृत संस्था को संप्रेषित की जाती है।
चरण 8. राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संस्था को एक स्टार्टर किट घरौंदा हैंडबुक भी दी जाती है, जिसमें घरौंदा योजना के पूरे विवरण दिए गए होते हैं।
चरण 9. पंजीकृत संस्था को स्थापना व्यय प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय न्यास निधि-संवितरण आरंभ करता है।
मौजूदा घरौंदा केन्द्र को भी उसी प्रक्रिया का पालन करना होगा जो नई योजना के अंतर्गत नामांकन के लिए ऊपर वर्णित है। इसमें दस्तावेजों तथा प्रस्ताव का प्रस्तुतीकरण भी शामिल है। पंजीकृत संस्था को मौजूदा योजना के अंतर्गत लाभ का मिलना बन्द हो जाएगा और नई योजना के अंतर्गत निधियाँ मिलना आरंभ हो जाएंगी। घरौंदा योजना के लिए नामांकन की प्रक्रिया वही है, जिसका वर्णन ऊपर किया गया है।
घरौंदा केन्द्र में दिव्यांगजनों का नामांकन
चरण 1. दिव्यांगजन केन्द्र पर आता है अथवा लाया जाता है।
चरण 2. घरौंदा केन्द्र किसी थेरैपिस्ट अथवा काउंसलर की मदद से दिव्यांगजन का मूल्यांकन परीक्षण करेगा, ताकि दिव्यांगजन की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझा जा सके।
चरण 3. यदि दिव्यांगजन अनाथ अथवा लावारिस हो अथवा संकटग्रस्त परिवार से हो तो पंजीकृत संस्था को उसके प्रमाणन के लिए राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत सक्षम जिला अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए। उपर्युक्त के प्रमाणन संबंधी दस्तावेज के अलावा, घरौंदा केन्द्र में नामांकन के लिए और कोई भी दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होती। साथ ही, दिव्यांगजन स्वतः ही बीपीएल श्रेणी में शामिल कर लिया जायेगा। दिव्यांगजन को घरौंदा में पंजीकरण के साथ-साथ निरामय में भी नामांकित किया जायेगा ।
चरण 4. अन्य सभी मामलों में यह जाँच की जाती है कि दिव्यांगजन पर राष्ट्रीय न्यास द्वारा एलआईजी अथवा बीपीएल निधीयन लागू है या नहीं।
चरण 5. माता-पिता अथवा अभिभावकों से अपेक्षित है कि वे नामांकन फॉर्म भरें (और यदि आवेदन शुल्क हो तो वह भरें) तथा निम्नलिखित दस्तावेजों की मूल एवं फोटोकॉपियाँ जमा कराएँ। प्रत्येक दिव्यांगजन के दस्तावेजों व रिकॉर्डों के लिए एक अलग फाइल बनाई जानी चाहिए।
घरौंदा केन्द्र में नामांकन के लिए माता-पिता अथवा अभिभावक निम्नलिखित दस्तावेज लेकर आएँ
क) नामांकन फॉर्म
ख) दिव्यांगजन का जन्म प्रमाणपत्र अथवा जन्म-तिथि का प्रमाण
ग) विकलांगता प्रमाणपत्र
घ) माता-पिता अथवा अभिभावक का आय प्रमाणपत्र जो (एलआईजी अथवा बीपीएल परिवार के लिए) संबंधित राज्य संघ शासित क्षेत्र द्वारा प्राधिकृत सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया हो
ङ) माता-पिता अथवा अभिभावक का पहचान प्रमाण
च) यदि माता-पिता अभिभावक न हों तो विधिक अभिभावकता प्रमाणपत्र अथवा विधिक अभिभावकता प्रमाणपत्र, यदि दिव्यांगजन के लिए बनाया गया हो।
चरण 6. जमा कराए गए उपर्युक्त सभी दस्तावेजों का सफलतापूर्वक सत्यापन हो जाने की स्थिति में दिव्यांगजन का घरौंदा केन्द्र में नामांकन हो जायेगा- लाभग्राही माता-पिता अथवा अभिभावकों (यदि हों) को एक पुष्टिकरण नामांकन पहचान कार्ड अथवा रसीद और स्टार्टर किट दिया जायेगा । साथ ही, आरंभ होने की तारीख, नियमों और विनियमों आदि के विवरण भी घरौंदा प्रतिनिधि द्वारा बता दिए जाते हैं।
चरण 7. यदि लाभग्राही ने निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना की सुविधा अभी नहीं प्राप्त की है तो घरौंदा के प्रतिनिधि लाभग्राही के माता-पिता और अभिभावकों को निरामय स्वास्थ्य बीमा के बारे में विस्तार से बताते हैं। घरौंदा केन्द्र लाभग्राही का निरामय योजना के अंतर्गत अनिवार्य रूप से पंजीकरण करता है। इसके लिए माता-पिता अथवा अभिभावकों की सहमति ली जाती है. जो माता-पिता अथवा अभिभावक से एक प्रमाणपत्र के रूप में होती है।
राष्ट्रीय न्यास घरौंदा केन्द्र का निधीयन निम्नलिखित तीन शीर्षों के अंतर्गत करेगाः
I. स्थापना लागत
यह घरौंदा केन्द्र की स्थापना के लिए पंजीकृत संस्था को आरंभ में केवल एक बार प्रदान की जानेवाली गैर-आवर्ती प्रकृति की लागत-राशि है। पंजीकृत संस्था मूलभूत ढाँचे में सुधार के उद्देश्य से राष्ट्रीय न्यास से अनुदान के साथ-साथ अन्य स्रोतों से भी अनुदान का इंतजाम करने के लिए स्वतंत्र है। स्थापना के लिए अपनी इच्छित जगह से सामग्री की खरीद, उसकी गुणवत्ता और मात्रा का निर्णय करना पंजीकृत संस्थाओं का विशेषाधिकार होगा।
II.मासिक आवर्ती लागत
राष्ट्रीय न्यास निधीयन के पात्र सभी घरौंदा केन्द्रों के परिचालन के पहले महीने से ही उसके सभी दिव्यांगजनों की मासिक आवर्ती लागत का भुगतान करेगा। राष्ट्रीय न्यास किसी केन्द्र का निधीयन तभी करेगा जब महीने के दौरान घरौंदा केन्द्र में दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या अपेक्षित बैच आकार की न्यूनतम 30% (यानी इस मामले में 6 व्यक्ति) हो।
राष्ट्रीय न्यास दिव्यांगों का निधीयन निम्नलिखित शर्तों पर करेगाः
क. राष्ट्रीय न्यास घरौंदा केन्द्र के दिव्यांगों का निधीयन 1:1 के अनुपात में करेगा, बशर्ते वहाँ एलआईजी (बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांग बराबर संख्या में हों। एलआईजी की परिभाषा इस प्रकार होगीः एलआईजी= राज्य द्वारा निर्धारित बीपीएल सीमा + उस राज्य की बीपीएल सीमा से 50 अधिक
ख. यदि एलआईजी (बीपीएल सहित) दिव्यांगजनों की संख्या एलआईजी से ऊपर वाले दिव्यांगजनों से अधिक है तो केवल उन एलआईजी दिव्यांगों के लिए निधि प्रदान की जाएगी, जिनके संबंध में 1:1 का अनुपात कायम रखा गया हो (एलआईजी व बीपीएल : एलआईजी से ऊपर की श्रेणी)। इस परिस्थिति में निधीयन के लिए बीपीएल को वरीयता दी जाएगी।
ग. यदि एलआईजी (बीपीएल सहित) की संख्या एलआईजी से ऊपर वाले दिव्यांगजनों से कम है तो राष्ट्रीय न्यास एलआईजी की पूरी संख्या (बीपीएल सहित) का निधीयन करेगा।
घ. इसके अलावा, राष्ट्रीय न्यास घरौंदा केन्द्र के 100% बीपीएल का निधीयन योजना के अनुसार करेगा, चाहे अनुपात जो भी हो। किन्तु एलआईजी के विषय में यह बात लागू नहीं होगी।
राष्ट्रीय न्यास द्वारा निधीयन का उदाहरण
कुल संख्या | एलआईजी (बीपीएल सहित) की संख्या | एलआईजी से ऊपर की संख्या | राष्ट्रीय न्यास द्वारा निधिकृत दिव्यांगों की संख्या |
---|---|---|---|
20 | 10 | 10 | 10 |
20 | 15 | 5 | 5 |
20 | 6 | 14 | 6 |
20 | 14 (12 बीपीएल और 2 एलआईजी) | 6 | 12 |
20 | 14 (4 बीपीएल और 10 एलआईजी) | 6 | 6 |
III. संकटकालिक निधीयन
राष्ट्रीय न्यास प्रत्येक घरौंदा केन्द्र के लिए एक संकटकालिक निधि रखेगा, जिसका उपयोग संकट में किया जा सकता है। पंजीकृत संस्था संकटकालीन निधि का उपयोग संकटकालीन निधि की समग्र निर्धारित सीमा के भीतर रहते हुए कई बार के अनुरोध के जरिए करती है। एक बार पूर्ण उपयोग किए जाने पर संकटकालीन निधि की भरपाई नहीं की जाएगी। संकट के समय पंजीकृत संस्था को संकटकालीन निधि के उपयोग के लिए राज्य सरकार से अनुमोदन लेना होगा। अनुमोदन का प्रमाण प्रस्तुत करने पर अथवा राज्य सरकार से निदेश प्राप्त होने पर राष्ट्रीय न्यास अपेक्षित निधियाँ जारी करेगा।
IV.कार्य-केन्द्र की स्थापना लागत (यदि पंजीकृत संस्था ने प्राप्त किया हो)
राष्ट्रीय न्यास प्रस्ताव की व्यवहार्यता के सत्यापन के पश्चात मौजूदा पंजीकृत संस्थाओं द्वारा खोले गए कार्य-केन्द्रों की स्थापना लागत के निधीयन पर भी विचार करेगा। स्थापना व्यय प्राप्त करने के लिए मौजूदा पंजीकृत संस्था के इन कार्य-केन्द्रों में काम करने के लिए कम से कम 10 प्रशिक्षित दिव्यांगजनों का होना जरूरी है।
यदि कार्य-केन्द्र परिचालन आरंभ होने के एक वर्ष के भीतर बंद कर दिया जाता है तो राष्ट्रीय न्यास संबंधित पंजीकृत संस्था से कार्य-केन्द्र की स्थापना लागत वापस ले लेगा।
उपर्युक्त में से प्रत्येक शीर्ष के अंतर्गत आवंटित निधियाँ निम्नवत हैं-
क्रम सं. | निधीयन शीर्ष | राशि (भारतीय रुपये में) | निधि संवितरण की आवृत्ति |
---|---|---|---|
1. | स्थापना लागत (गतिविधि कक्ष/मनोरंजन कक्ष/चिकित्सा कक्ष, कंप्यूटर, फर्नीचर, स्कैनर और इंटरनेट कनेक्शन की संस्थापना) | 2,90,000/- | एक बार |
2. | मासिक आवर्ती लागत | प्रति दिव्यांगजन प्रति माह 10,000/- की प्रतिपूर्ति | मासिक |
3. | संकट निधि | 10,00,000/- | आवश्यता के आधार पर |
4. | कार्य-केन्द्र के लिए स्थापना लागत (यदि पंजीकृत संस्था ने ली हो) | रु. 25,000 से रु. 1,00,000/- तक | मामले के अनुसार |
*कृपया ध्यान दें कि दिल्ली में 1-2 जुलाई 2015 को आयोजित राज्य कल्याण सचिवों के सम्मेलन में हुई चर्चा के अनुसार स्थापना लागत को रु. 1,95,000 से बढ़ाकर रु. 2,90,000 कर दिया गया है।
नयी योजना में निवेदन के लिए मानदंड निम्नलिखित है:
बुनियादी मानदंड
टिप्पणी जब तक पंजीकृत संस्था उपरलिखित मानदंडो को पूरा नहीं करती, तब तक योजना में निवेदन नहीं किया जा सकता
अन्य मानदंड
I. पंजीकृत संस्था के लिए पात्रता मानदंड
घरौंदा योजना में नामांकन के लिए पंजीकृत संस्था को निम्नलिखित सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करना चाहिए
क्रम सं. | पात्रता मानदंड | अपेक्षित दस्तावेज |
---|---|---|
1. | आवेदक राष्ट्रीय न्यास में पंजीकृत हो | राष्ट्रीय न्यास का वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र |
2. | नामांकन के समय अनुरोध करनेवाली संस्था का पीडब्ल्यूडी अधिनियम 1995 के अंतर्गत वैध पंजीकरण होना चाहिए | पंजीकरण का प्रमाण या प्रमाण-पत्र |
3. | सामूहिक गृह की भूमि या तो पंजीकृत संस्था के स्वामित्व में हो या कम से कम 10 वर्ष की लीज पर हो, जिसमें नवीकरण का प्रावधान हो | पते का प्रमाण स्वामित्व दस्तावेज या लीज डीड |
4. | आवेदक को ऐसे दिव्यांगजनों के साथ काम करने का कम से कम 2 वर्ष का अनुभव हो, जिनमें राष्ट्रीय न्यास अधिनियम में विहित चार में से कम से कम एक विकलांगता का एक वर्ष का अनुभव हो | पंजीकृत संस्था की घोषणा, जिसमें कार्यों का विवरण हो |
5. | योजना के लिए नामांकन के समय पंजीकृत संस्था को राष्ट्रीय न्यास किसी अन्य सरकारी संगठन द्वारा योजना के लिए ब्लैक-लिस्ट न किया गया हो | पंजीकृत संस्था की घोषणा |
(i) दिव्यांगजन के लिए पात्रता मानदंड
घरौंदा योजना केन्द्र में नामांकन के लिए लाभग्राही के पात्रता मानदंड नीचे दिए जा रहे हैं (चाहे दिव्यांगजन राष्ट्रीय न्यास से निधिकृत हो अथवा न हो)
क. दिव्यांगजन में राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के अनुसार कोई विकलांगता होनी चाहिए, जैसे- ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मंद बुद्धि और एकाधिक विकलांगताएँ
ख. दिव्यांगजन को 18 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए।
अंतिम नवीनीकृत: 28-03-2023
आगंतुक संख्या: 618490