मैं आपका स्वागत करता हूँ और हमारी वेबसाइट पर आने के लिए आपका धन्यवाद करता हूँ। राष्ट्रीय न्यास को दो बुनियादी कर्तव्यों – “कानूनी सहायता और कल्याण” का निर्वहन करने के लिए स्थापित किया गया है। कानूनी कर्तव्यों का निर्वहन स्थानीय स्तर की समितियों (एल.एल.सी.) और कानूनी संरक्षकता के माध्यम से किया जा रहा है। दिव्यांगजनों के कल्याण के कर्तव्य को योजनाओं के माध्यम से किया जा रहा है। राष्ट्रीय न्यास में जिला स्तर पर 550 से अधिक पंजीकृत संगठनों और 628 स्थानीय स्तर की समितियों (एल.एल.सी.) का नेटवर्क है।
योजनाओं के प्रभाव के मूल्यांकन से ज्ञात हुआ कि पुरानी योजनाएं अप्रभावी हो गई थी। पुरानी योजनाओं में सुधार की ज़रूरत थी, जिसके कारण नई योजनाओं को विकसित करने तथा वित्तपोषण को बढ़ाने की जरुरत है। पंजीकृत संगठन हमारी योजनाओं का लाभ लेने के इच्छुक नहीं थे। राष्ट्रीय न्यास द्वारा योजनाओं पर प्रतिवर्ष औसतन 4.31 करोड़ रुपये ही खर्च किया जाता था, जो कि अपर्याप्त था। वर्तमान में राष्ट्रीय न्यास द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 45.00 करोड़ रु. खर्च किए जाएंगे।
हमने हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद 10 नई योजनाओं को विकसित किया है। हमने दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, मुंबई, बेंगलुरु और लखनऊ में 6 क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया; प्रश्नावली के माध्यम से प्रतिक्रिया प्राप्त की, योजना केन्द्रों/क्षेत्रीय कार्यालयों का दौरा किया, 4 बार न्यास के बोर्ड के साथ चर्चा की तथा वार्षिक आम सभा में प्रस्तुतिकरण किया गया था। विस्तृत विचार-विमर्श ने इन योजनाओं को समावेशी, व्यवहार्य और व्यावहारिक बना दिया है। "डिजिटल इंडिया” अभियान के तहत न्यास ऑनलाइन योजना प्रबंधन प्रणाली (एसएमएस) विकसित कर रहा है, जो न्यास को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाएगा।
मुझे पूरा विश्वास है कि ये योजनाएं स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु – निःशक्तताग्रस्त व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएँगी।
मैं सभी पंजीकृत संगठनों से योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने की अपील करता हूँ।
श्री निकुंज क. सुन्दराय
संयुक्त सचिव व मुख्य कार्यकारी अधिकारी
राष्ट्रीय न्यास
अंतिम नवीनीकृत: 28-03-2023
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