राष्ट्रीय न्यास, सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु –निःशक्तताग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण हेतु अधिनियम (1999 के अधिनियम 44) के तहत की गई है।
राष्ट्रीय न्यास की परिकल्पना का उद्देश्य विकलांगताग्रस्त व्यक्तियों के लिए एक समावेशी समाज का निर्माण करना है, जिसमें वे गरिमा, समान अधिकार और अवसरों के साथ स्वतंत्र जीवन-यापन के लिए सशक्त और सक्षम हो सके।
राष्ट्रीय न्यास की परिकल्पना सभी देशवासियों के लिए एक बदलते भारत के स्वरुप को प्रदर्शित करती है तथा मानव अधिकार, यानी यूएनसीआरपीडी के दृष्टिकोण पर आधारित है। यह परिकल्पना राष्ट्रीय न्यास को विकलांगता के क्षेत्र में एक अग्रणी के रूप में स्थापित करती है। विकलांगताग्रस्त व्यक्तियों से संबंधित कानूनों को बदलते समय ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। स्थानीय तथा क्षेत्रीय पंजीकृत संगठनों और स्थानीय स्तर की समितियों के माध्यम से कार्य करते समय राष्ट्रीय न्यास को अपना उद्देश्य निर्धारित करना चाहिए तथा देश के सभी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राष्ट्रीय न्यास निःशक्तताग्रस्ति व्यक्तियों एवं उनके परिवारों की क्षमता के विकास हेतु अवसरों उपलब्ध कराने का कार्य करता है, ताकि उनके अधिकारों की पूर्ति हो, तथा एक समावेषी समाज एवं समर्थयुक्त वातावरण के सृजन को प्रोन्न्त एवं सहयोग प्रदान किया जा सके।
राष्ट्रीय न्यास का लक्ष्य या मौलिक उद्देश्य निःशक्तताग्रस्त व्यक्तियों को अन्य मंत्रालयों के सहयोग तथा व्यापक समर्थन प्रणाली के माध्यम से अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक समर्थयुक्त वातावरण का सृजन करना है, जिससे वे समावेशी समाज के विकास में सहयोगी बन सके।
राष्ट्रीय न्यास के विशेष उद्देश्य निम्नलिखित हैं: -
अंतिम नवीनीकृत: 28-03-2023
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